हमारी जान है घर पर
हमारी जान है घर पर
बिखरने से लगे हैं हम
बहुत ही बोझ है सर पर
शहर तो आ गये लेकिन
हमारी जान है घर पर।
यहाँ पर भीड़ बेहद है
हमें बेचैन करती है
तड़पते हैं यहाँ दिन भर
भ्रमित हर रैन करती है
यहाँ पर अजनबी से हम
मगर पहचान है घर पर।
सच कहूं रोज ही सर से
गुजरता है यहाँ पानी
यहाँ तन्हा हुए हैं हम
वहाँ तन्हा है दीवानी
पड़े गुमनाम से होकर
हमारी शान है घर पर।
हवाओं तुम गुजरना तो
तमन्ना से जरा कहना
उसे आयेंगे हम मिलने
नहीं है दर्द अब सहना
अकेले हम रहें कैसे
वहाँ अरमान है घर पर।