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Chandragat bharti

Tragedy Others

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Chandragat bharti

Tragedy Others

कैसे हो फिर मान तुम्हारा

कैसे हो फिर मान तुम्हारा

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ऊँची नीची की रीति चलाना

एक यही बस ज्ञान तुम्हारा

मानवता को रौंद रहे तुम

कैसे हो फिर मान तुम्हारा ?


जिन राहों से तुम आये हो

उसी राह से हम भी आये

पर दिल में तुम नफरत बोते

जिनसे लाखों घर जल जाये

ढोंगी बन इस जग को ठगना

मात्र यही अभियान तुम्हारा ।


डर फैलाकर भगवानों का

जनता को तुम छलते आये

जिसको लूटा सारा जीवन

उससे ही तुम पलते आये

तुम निष्ठुर हो झूठे हो तुम

झूठा यह सम्मान तुम्हारा ।


उदय हुआ विज्ञान का जबसे

घबराये अब ढोंगी सारे

गली गली में दिखोगे इक दिन

बाजारों में हाथ पसारे

समय आ गया नीयत बदलो

मानेंगे फरमान तुम्हारा ।


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