दीप जलाओ
दीप जलाओ
हाथों पर रख हाथ न बैठो
गढ़ो कर्म से तुम तकदीर
मेहनत से ही बदल सकोगे
देश और खुद की तस्वीर ।
संयम धीरज सँग दृढता के
नैतिकता पर धार लगाओ
स्नेह दया करुणा रख मन में
भौतिकता को मार भगाओ
कहीं दिखें जो दीन दुखी तो
हरो सदा तुम उनकी पीर ।
उतना ही लो मित्र प्रकृति से
आवश्यक हो जितना तुमको
मानवता ही धर्म तुम्हारा
ज्ञान यही हो इतना तुमको
सदाचार आभूषण अपना
यही हमारी है जागीर ।
अँधियारा यदि दिखे कहीं भी
आगे बढ़ कर दीप जलाओ
गहन उदासी में भी प्रियवर
खुशहाली होंठों पर लाओ
देशभक्ति की बात चले तो
दुनिया बोले तुमको वीर ।