आखिर क्यों? आखिर क्यों?
मैं एक दीपक हूँ, हवा से परहेज़ नहीं, पर हवा से थोड़ी सी ईर्ष्या है, मैं एक दीपक हूँ, हवा से परहेज़ नहीं, पर हवा से थोड़ी सी ईर्ष्या है,
अंधेरे में देख परछाईं होश उड़ जाता है खुद का अंधेरे में देख परछाईं होश उड़ जाता है खुद का
उसकी कृशकाय काया बड़े-बड़ों की माया तले , दब जाती है, बार बार खींच साँस अंदर, वह रह रह जाती है..अपनी ... उसकी कृशकाय काया बड़े-बड़ों की माया तले , दब जाती है, बार बार खींच साँस अंदर, वह ...
ज़्यादा से ज़्यादा क्या करेगा, इसमे कूद ही तो जाएगा, ऐसी बुरी हालत में कुछ नहीं, डूब ही तो जाएगा..... ज़्यादा से ज़्यादा क्या करेगा, इसमे कूद ही तो जाएगा, ऐसी बुरी हालत में कुछ नहीं, ड...
जो दीप वो ले कर आए थे, उनसे उजाला कर गए उनके इस जीवन में, फिर से अँधेरा हो गया जो दीप वो ले कर आए थे, उनसे उजाला कर गए उनके इस जीवन में, फिर से अँधेरा हो गया ...