अंधेरे में देख परछाईं होश उड़ जाता है खुद का अंधेरे में देख परछाईं होश उड़ जाता है खुद का
इक सामान सा हर वक्त वही पड़ा रहता है जिसकी जरूरत अब किसी को नही थी इक सामान सा हर वक्त वही पड़ा रहता है जिसकी जरूरत अब किसी को नही थी