मैं दीपक हूँ
मैं दीपक हूँ
मैं प्रज्वलित हूँ,
मैं समर्पित हूँ,
मैं अंधेरा दूर करती हूँ ,
मैं एक दीपक हूँ,
जलना है स्वभाव मेरा,
रोशनी देना है फ़र्ज़ मेरा,
मैं खुद के लिए नहीं,
दूसरों के लिए बनी हूँ,
मैं एक दीपक हूँ,
हवा से परहेज़ नहीं,
पर हवा से थोड़ी सी ईर्ष्या है,
कभी भड़काए कभी बुझाये मुझे,
उसकी यही अंदाज से बैर है,
वो चंचल स्वभाव की,
मैं स्थिरता से भरी,
फिर भी कभी कभी,
वो हो जाये मुझ पे भारी,
मैं दुनिया को रास्ता दिखती हूँ,
मैं अंधकार मिटाती हूँ,
पर मैं अंधकार के तले दबी हूँ,
मैं एक दीपक हूँ.....
