अगर
अगर
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मेरा है जीवन अगर तो मेरे फैसले क्यों नहीं?
जिंदगी अगर है जंग तो खुद लडे क्यों नहीं?
हार भी मेरी जीत भी मेरी,
तो इतनी सी सोच में रखूं क्यों नहीं?
कब तक यूँ डर डर के जियूं?
क्या मेरी जिंदगी मेरी नहीं?
माना रास्ते होंगे कांटो भरे, तो क्या?
माना साथ छूटेंगे कुछ अपने, तो क्या?
जिन्हें होगी हमारी परवाह,
वही सिर्फ साथ देंगे बाकी तो सब झूठ का दिखावा।
