कुछ पंक्तियाँ ऐसे ही
कुछ पंक्तियाँ ऐसे ही
हम उनमे से नहीं,
जो बस सही वक़्त का इंतजार करते रहे,
हम उनमे से भी नहीं,
जो अपने हक़ के लिए आवाज ही न उठाया करें,
हम उनमे से तो कभी भी नहीं,
जो बंधनो के डर से अपनी आवाज बुलंद न करें,
भगवान ने इतना तो सिखाया है,
बिना कर्म किए कुछ न मिले,
तो बिना कोशिश किए कैसे कुछ फले।
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तू एक कदम तो चल मेरे साथी,
तुझे लाख रस्ते मिल जाएंगे,
तू कभी हौसला तो कर मेरे साथी,
तुझे मंजिले भी नजर आएंगी,
डर डर के कब तक जिएगा तू,
कभी तो निडर बनने की कोशिश तो कर।
कब तक दूसरों के सहारे चलेगा,
कभी तो अपना रस्ता चुन होके बेफिक्र।
कब तक दूसरों की ज़िंदगी जिएगा,
कभी तो अपनी पहचान बनाने की चाह तो कर।
बिना कोशिश किए किसे मंजिल मिली है,
तू कभी अपनी मंजिल पाने की जिद्द तो कर।
