प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया। प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया।
भयंकर होता जा रहा जिसका आकार है काला धन संचय करने वाला ये साहूकार है। भयंकर होता जा रहा जिसका आकार है काला धन संचय करने वाला ये साहूकार है।
प्रति कार्तिक शुक्ला एकादशी को , पूजन होता पौधा तुलसी का ! प्रति कार्तिक शुक्ला एकादशी को , पूजन होता पौधा तुलसी का !
अंतरिक्ष तो विशाल अनंत है, इसका नहीं कोई आदि अंत है, अंतरिक्ष तो विशाल अनंत है, इसका नहीं कोई आदि अंत है,
आज की रात जो छुप भी जाएं सारे आफ़ताब , तो मिट्टी के दीयों की रौशनी से ही उजाला कर देंग आज की रात जो छुप भी जाएं सारे आफ़ताब , तो मिट्टी के दीयों की रौशनी से ही उजाल...
बताओ तो किसकी रहती झोली खाली ; गणपति जी की अनंत कृपा है निराली ! बताओ तो किसकी रहती झोली खाली ; गणपति जी की अनंत कृपा है निराली !
जो बीत गया वो लौट कर नहीं आएगा और कल क्या होगा ये भी तो कोई नहीं जानता। जो बीत गया वो लौट कर नहीं आएगा और कल क्या होगा ये भी तो कोई नहीं जानता।
दीपवाली के दिए की जगमगाहट से ; मन का मंदिर भी प्रकाशमान है ! दीपवाली के दिए की जगमगाहट से ; मन का मंदिर भी प्रकाशमान है !
आज आठ दशक और हो गया है नौवें में प्रवेश। आज आठ दशक और हो गया है नौवें में प्रवेश।
सावन गुज़र जाने के बाद, एक प्यारा त्यौहार आता है। सावन गुज़र जाने के बाद, एक प्यारा त्यौहार आता है।
एक बारिश ने उसकी जिंदगी बदल दी थी ।। एक बारिश ने उसकी जिंदगी बदल दी थी ।।
ज़ब सोच लिया तो फिर भला कैसी लाचारी ; जीवन में आगे बढ़ने की अब करनी है तैयारी ! ज़ब सोच लिया तो फिर भला कैसी लाचारी ; जीवन में आगे बढ़ने की अब करनी है तैयारी !
हो रहा था राजतिलक, छोड़ मिला वनवास । शिकन एक आई नहीं , तज सिंहासन आस।। हो रहा था राजतिलक, छोड़ मिला वनवास । शिकन एक आई नहीं , तज सिंहासन आस।।
स्वीकार है मेरी भूल मुझे आज फिर पराजित हुआ हूं स्वीकार है मेरी भूल मुझे आज फिर पराजित हुआ हूं
मोहलत देता हूँ,आधी रात की तुम्हें न्याय क्या है ? अन्याय क्या है ? मोहलत देता हूँ,आधी रात की तुम्हें न्याय क्या है ? अन्याय क्या है ?
मां जग जननी दिल की सुनती, नित संस्कार सिखलाती है।। मां जग जननी दिल की सुनती, नित संस्कार सिखलाती है।।
शब्दों के खेल बड़े अद्भुत, इनके जज्बे बड़े निराले। शब्दों के खेल बड़े अद्भुत, इनके जज्बे बड़े निराले।
दायित्व पूरा निभाया है कोंपल से फूल खिलाया है दायित्व पूरा निभाया है कोंपल से फूल खिलाया है
तुम दर्द को मुस्कराहट में दबा दो, तुम हर गम को दिल से हटा दो। तुम दर्द को मुस्कराहट में दबा दो, तुम हर गम को दिल से हटा दो।
काल के प्रवाह में कितने आये, काल के प्रवाह में कितने ही गए काल के प्रवाह में कितने आये, काल के प्रवाह में कितने ही गए