मंगल नाम हो पावन नाम हो , राम के नाम का उत्तम जप हो। मंगल नाम हो पावन नाम हो , राम के नाम का उत्तम जप हो।
यह साल अब देकर चला, खट्टी मीठी याद। कहीं 'साल' भर सालता, कहीं भरे उन्माद। यह साल अब देकर चला, खट्टी मीठी याद। कहीं 'साल' भर सालता, कहीं भरे उन्माद।
माता-पिता की ममता,अपार विश्वास, सिखाते हैं जीवन की मूल बातें खास। माता-पिता की ममता,अपार विश्वास, सिखाते हैं जीवन की मूल बातें खास।
याद रखो अवकाश नहीं उत्सव हो हर बार। याद रखो अवकाश नहीं उत्सव हो हर बार।
एक ही ज़िन्दगी मिली हैं हमें जिसे जी रहे हैं सभी। एक ही ज़िन्दगी मिली हैं हमें जिसे जी रहे हैं सभी।
चाहे कोई भी विकट कठिनाई आए, अपने आदि सत्य का रास्ता ना बदल ! चाहे कोई भी विकट कठिनाई आए, अपने आदि सत्य का रास्ता ना बदल !
प्रतिमूर्ति हो सहनशील की, सभी कष्ट सह लेती हो। प्रतिमूर्ति हो सहनशील की, सभी कष्ट सह लेती हो।
अब आँचल और आँगन में भर लो खुशियाँ, उदास व मायूस होना तो एकदम बेमानी है अब आँचल और आँगन में भर लो खुशियाँ, उदास व मायूस होना तो एकदम बेमानी है
बढ़ते जाते वीर हैं , बाधाओ को चीर। सेना है ये हिंद के ,उधम साहसी धीर।। बढ़ते जाते वीर हैं , बाधाओ को चीर। सेना है ये हिंद के ,उधम साहसी धीर।।
आकाश में गए थे ख़ुशी को तलाशने, आनंद इस धरा का भी उनसे बिसर गया आकाश में गए थे ख़ुशी को तलाशने, आनंद इस धरा का भी उनसे बिसर गया
5 फरवरी का दिन है आज और है ये कुछ खास। 5 फरवरी का दिन है आज और है ये कुछ खास।
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता। आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता।
प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया। प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया।
वो एक नन्ही सी लड़की जिसके सपनों की उड़ान ऊंची है। वो एक नन्ही सी लड़की जिसके सपनों की उड़ान ऊंची है।
भयंकर होता जा रहा जिसका आकार है काला धन संचय करने वाला ये साहूकार है। भयंकर होता जा रहा जिसका आकार है काला धन संचय करने वाला ये साहूकार है।
धर्म का करें प्रचार, चलो रे सखी मंगल गाएँ ! धर्म का करें प्रचार, चलो रे सखी मंगल गाएँ !
समाज संग घुल-मिल रहना आवश्यक है, प्रेम व स्नेह के रंग खुद को रंगना पड़ता है ! समाज संग घुल-मिल रहना आवश्यक है, प्रेम व स्नेह के रंग खुद को रंगना पड़ता है !
तेरे कर्ज़ तो मैं उतार सकती नही लेकिन हर फ़र्ज़ एक बेटी होने का निभाऊंगी। तेरे कर्ज़ तो मैं उतार सकती नही लेकिन हर फ़र्ज़ एक बेटी होने का निभाऊंगी।
सुख दुःख जीवन के दो पहलू दोनों ईश्वर प्रदत्त हैं उपहार। सुख दुःख जीवन के दो पहलू दोनों ईश्वर प्रदत्त हैं उपहार।
हिन्दी वीरों की तलवार जैसी बनती जा रही है , करे लेखनी से सतत व कलम का एक श्रंगार है ! हिन्दी वीरों की तलवार जैसी बनती जा रही है , करे लेखनी से सतत व कलम का एक श्रं...