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Shakuntla Agarwal

Inspirational

5.0  

Shakuntla Agarwal

Inspirational

चिन्तन

चिन्तन

1 min
810


मैं भूत नहीं, वर्तमान हूँ

भविष्य बनना चाहता हूँ !

यही इच्छा दिल में लिए ,

स्वप्न बुनता रहता हूँ !

जब भी वर्तमान होता है ,

भविष्य में खोया रहता हूँ !

तिनका एक पास नहीं ,

नीड़ की रचना करता हूँ !

ये करूँगा, वो करूँगा ,

कल्पना में खोया रहता हूँ !

वर्तमान मैं जीता नहीं ,

भविष्य बुनता रहता हूँ !


होगी कोई दैवीय शक्ति ,

भविष्य मेरा सुधारेगी !

वर्तमान स्तिथि से ,

वो मुझे उभारेगी !

वर्तमान भी अपना ,

खो देता इस चाह में !

आम था , आम हूँ ,

आम रह गया इस राह में !

भविष्य जब आता है ,

आँखें नहीं मिला पाता हूँ !

टूटता जब तिलस्म तो ,

सच से भय खाता हूँ !


भविष्य के जो स्वप्ने थे ,

वो सारे धूमिल हो गए !

स्वपनो के इस शहर में ,

खुद को अकेला पाता हूँ !

अकेलेपन से उबकर फिर,

भविष्य में खो जाता हूँ !

मैं भूत नहीं , वर्तमान हूँ

भविष्य बनना चाहता हूँ !


भविष्य तो है ऐसी धरोहर ,

जो हाथ कभी नहीं आयी !

जब भी वह आयी ,

वर्तमान ही कहलायी !

वर्तमान में मिले रोटी ,

तो मुझे कोठी चाहिए !

कोठी जब मिले तो ,

रक़म मोटी चाहिए !

तिलस्म का यह शहर है ,

झूठ की दीवारें हैं !

स्वपनो के इस महल में ,

'शकुन' मैं ख़ुद से भय खाता हूँ !

वर्तमान तो जीता नहीं ,

भविष्य में खो जाता हूँ !!



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