"दिल से निकले गीत"
"दिल से निकले गीत"
दिल से निकले गीत कवि के
जनता की आवाज बऩें
जन-जन तक पहुंचें, गीत कवि के
अहिंसा की आवाज बने
गीतों में हर ले, हर गम को
हर दिल का अहसास बनें
मरहम बन घाव भरे दे
आसुओं का मर्म कहे
दिल से निकले, गीत कवि के
जनता की आवाज बनें
जाति धर्म के बन्धनों से परे
गुंगो की आवाज बने
भेदभाव की दीवारें तोड़
एकता का साज बने
दिल से निकले, गीत कवि के
जनता की आवाज़ बने
भूखे की थाली, प्यासे के जल का
अपने गीतों में व्याख्यान करें
जब तक कोई भूखा जग में
गीत कवि के चैन ना ले
अंधियारों से जूझ -जूझ कर
उजियारे का संवाद बने
दिल से निकले, गीत कवि के
जनता की आवाज बने
वक्त के थपेडों से हार गये जो
हौंसला दे, उनकी आवाज़ बने
व्यभिचार के मुद्दों पर
खुलकर अपनी बात कहे
डरे नहीं, और डरने ना दे
ऐसा एक अभियान बने
दिल से निकले गीत कवि के
जनता की आवाज़ बने
ऐसा प्रतिबिंब हो, जीवन कवि का
हर इन्सान को अपना अक्स दिखे
हर पीड़ा - हर खुशी इन्सा की
कवि की कविताओं में झलके
सच बोले, सच ही जीये
झूठ- कपट ना व्यापार करे
दिल से निकले गीत कवि के
जनता की आवाज बने
भीतर जो दुश्मन घात लगाये
बैठा, उसका पर्दाफ़ाश करे
ढ़ाल बन षड़यन्त्र टाले,
सत्य का संंधान करे
अदम्य साहस भर दे जन- जन में
अन्याय के विरुद्ध हर आवाज़ उठे
देशद्रोहियों को सबक सिखाने खातिर
शब्दों के हथियार चुने,
दिल से निकले गीत कवि के
जनता की आवाज़ बने।
