स्वयं को पहचानो
स्वयं को पहचानो
दिल में छिपी तमस को तुम, खुद से जरा हटाकर तो देखो;
फितूर अपने मस्तिष्क का, पुष्प सा महकाकर तो देखो;
जीवनदाता परमेश्वर की, महिमा का गान करो कभी;
अपनी अन्तःशक्ति को तुम, आज थोड़ा जगागर तो देखो।
काम आये जीवन किसी के, ऐसा हुनर लाकर तो देखो;
लालच को स्वयं दूर भगा, मन पर विजय पाकर तो देखो;
क्रोद्ध ज्वाला में न जलकर, शान्ति का पाठ पढ़ाओ कभी;
अपनी अन्तःशक्ति को तुम, आज थोड़ा जगागर तो देखो।
होना है सफल जीवन में गर, डर को हराकर तो देखो;
बुराई का अन्त कर तुम, दिल में प्यार बसाकर तो देखो;
साहिलों से लड़ने को तुम, पत्थर से भी टकराओ कभी;
अपनी अन्तःशक्ति को तुम, आज थोड़ा जगागर तो देखो।
अपने वजूद के हेतु तुम, खुद को आजमाकर तो देखो;
अंधकार मन का दूर कर, स्नेहदीप जलाकर तो देखो;
संघर्ष को समझना है तो, ठोकर खाकर संभलो कभी;
अपनी अन्तःशक्ति को तुम, आज थोड़ा जगागर तो देखो।
समझो जन के भावों को, ईर्ष्या-द्वेष मिटाकर तो देखो;
दुःख दर्द मिटाने को सबका, इक कदम बढ़ाकर तो देखो;
रह न जाये भूखा कोई, गरीब को भोजन खिलाओ कभी;
अपनी अन्तःशक्ति को तुम, आज थोड़ा जगागर तो देखो।
प्यास को महसूस कर, किसी की प्यास बुझाकर तो देखो;
बचपन जीने के लिये, खुद को बच्चा बनाकर तो देखो;
भुलो अपने सारे गम को, अकेले में गुनगुनाओ कभी;
अपनी अन्तःशक्ति को तुम, आज थोड़ा जगागर तो देखो।
हौसलों की उड़ान में, इरादों को मकसद बनाकर तो देखो;
प्रगति पथ पर तुम, हिम्मत से कदम उठाकर तो देखो;
खुद में जोश जगाकर, आलस की चादर हटाकर तो देखो;
अपनी अन्तःशक्ति को तुम, आज थोड़ा जगागर तो देखो।
हर पथ हो आसान, लक्ष्य पर नजर लगाकर तो देखो;
जग सक्षम भी होगा इक दिन, दो अक्षर पढ़ाकर तो देखो;
अहंकार न करो जीवन में, परोपकार भी करो कभी;
अपनी अन्तःशक्ति को तुम, आज थोड़ा जगागर तो देखो।