दोहे
दोहे
शांति खोजते सब जना, बाहर पावत नाहिं।
जो मन खोजा आपना, मिल गया मन मांहि।। 1
जग में चिंता व चिता, दोनों को इक जान।
तन व मन दोनों जलता, ज्ञानी बात महान।। 2
बड़ा जो बनो तो बनो, तरुवर अंब समान।
ज्यों ही फल लगते हैं, डार - डार झुक जान।। 3
धुँआ और मदिर हैं सम, दोनों लेवें जान।
एक फूँक दे मनुज तन, और जने शैतान।। 4
चुपड़ी रोटी देख के, मन ना लावे ताप।
थाम ले डोर करम की, भाग बना ले आप।। 5
संगत से रंगत चढ़े, परख ही पहिचान।
ताड़ी, कल्प चखे बिना, कौन सके है जान।। 6
आँधी आये जोर से, तरु उड़ाय लै जात।
छोटो - छोटो घास ही, बस बची रही जाय।। 7
शिक्षक जलते दीपक हैं, करते जग उजियार।
ज्ञान मोती पाकर ही, पाते सिद्धी अपार।। 8
जब भी वाणी बोलिये, बोलो सोच विचार।
प्रेम पर ही है टिकता, सकल जगत व्यवहार।। 9
तात - मात देव सम हैं, पुत्र व पुत्री धरोहर।
सेवा नित जो करत हैं, हो जाते भव पार।। 10
माता सिरजनहार है, गढ़ती बालक रूप I
जैसे नित आकाश में, सूरज करता धूप।। 11
जननी होत गुरु पहली, जान ईश सम रूप
चरण सेवा जो करता, पाता धन के कूप।।12
माँ से मिलती ममता, पिता से मिले प्यार I
दोनों के आशिष से, जीवन हो उपहार ।।13
तात की छाया नभ सी , तपिश सूरज समान I
अनुशासन के बंधन में, बालक बने महान।। 14
निज हित का साधते, करते घर आबाद।
मँहगाई की मार से, जनता है बरबाद।। 15
राजनीतिक दंग
ल में, उतरते पहलवान।
पाँच साल में बदलते, छद्मवेश परिधान।। 16
आते नंगे पैर चले, दे दो हमको वोट।
किये वादे भूल गये , गिनते केवल नोट।। 17
आ गई रुत चुनाव की, सज गए वंदनवार।
खादी में सज निकले, जन के पालनहार।। 18
जनता के कल्याण की, नेता करते बात।
ज्यों ही सत्ता मिलती, दिखती इनकी जात।। 19
कर वसूली दानव से, जनता है बेहाल।
ज्ञानी चोला धार के, लूट रहे हैं माल।। 20
सेकुलर हिमायत कहें, हिंद में बड़ी पीर।
आग लगे हिंदू घर तो, होते नहीं अधीर।। 21
अज्ञानी प्रवक्ता भयै, ज्ञानी साधै मौन।
खद्योत अब चमकन लगै, रवि को पूछे कौन।। 22
फिर से मौसम बदला, नाचन लागै मोर।
चोला धारै संत का, भीख माँगते चोर।। 23
नेता ऐसा चाहिए, नेक राह ले जाय।
देश करे प्रगति बढ़े, जनता के मन भाय।। 24
वादों की माला पहन, बटोरते हैं वोट।
बैठते ही कुरसी पर, जनता को दें चोट।। 25
बजते ही बिगुल युद्ध के, दौड़े वीर अनेक।
मातृभूमि की रक्षा में, डटा हुआ हर एक।। 26
अभिलाषा है फूल की, बिखर करूँ सम्मान।
समर भूमि में जिन्होने, हँसकर दे दी जान।। 27
कौन है ये मतवाले, सोते ओढ़ वितान।
तत्पर माँ की रक्षा में, रहते वीर जवान।। 28
अतिथि पूजना हिंद में, सदियों से है रीत।
प्रेम औ मानवता की, सदैव होती जीत ।। 29
वंश बेल बढ़ाने को, बेटी को मत मार ।
पूत है कुल का गौरव तो, बेटी है संसार।।30