रेत की तरह फिसल रही है ज़िन्दगी
रेत की तरह फिसल रही है ज़िन्दगी
साँसें चलती है,
पल पल बीत रहा है,
हर घड़ी कह रही है,
रेत की तरह फिसल रही है ज़िन्दगी I
समुन्द्र में लहरें उठ रही है,
किनारे पे पहूँचने को कश्ती तरस रही है,
जीने के लिये हर साँस लड़ रही है,
रेत की तरह फिसल रही है ज़िन्दगी I
उठ जा तू अब जाग ज़रा,
कब तक तू सोयेगा,
जीवन में अपनी पहचान कब पायेगा,
रेत की तरह फिसल रही&n
bsp;है ज़िन्दगी I
यूँ कायर न बन,हिम्मत तो तू कर,
तेरे लिए तो असीमित आकाश है,
एक बार तू होंसलों की उड़ान तो भर,
रेत की तरह फिसल रही है ज़िन्दगी I
जो आया है वो जायेगा,
लोंगों की याद में वही रह जायेगा,
जो सूरज की तरह रोशनी फैलायेगा,
अपना जीवन कर्म से महान बनायेगा,
मर कर भी लोंगो को जो जीना सीखा जायेगा,
क्योंकि रेत की तरह फिसल रही है ज़िन्दगी I