भूत, भविष्य और वर्तमान, सब सुन्दर और स्वप्निल हो जाता है। भूत, भविष्य और वर्तमान, सब सुन्दर और स्वप्निल हो जाता है।
जब जाऊंगा इस दुनिया से, फिर हाथ नहीं फैलाऊँगा। जब जाऊंगा इस दुनिया से, फिर हाथ नहीं फैलाऊँगा।
एक नन्हा सा बीज जैसे कोई रोप गया मन में ऐसे आया कि बस गया मन के वृंदावन में एक नन्हा सा बीज जैसे कोई रोप गया मन में ऐसे आया कि बस गया मन के वृंदावन में
डर के लहरों से भला, तू साहिल पे है क्यों खड़ा? डर के लहरों से भला, तू साहिल पे है क्यों खड़ा?
तू ही देश का रक्षक, तुझ से ही सियासत है क्या लिखू तुझ पे, तू तो सरहदों का वारिस है, मालिक है तू वत... तू ही देश का रक्षक, तुझ से ही सियासत है क्या लिखू तुझ पे, तू तो सरहदों का वारिस...
कल किसने देखा है, पर दुआ तो माँग ही सकते हैं हम, ख़ुद के लिए, अपनों के लिए, या फिर, ग़ैरों के ल... कल किसने देखा है, पर दुआ तो माँग ही सकते हैं हम, ख़ुद के लिए, अपनों के लिए, ...