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तू तो सरहदों का वारिस है

तू तो सरहदों का वारिस है

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क्या लिखू तुझ पे, तू तो सरहदों का वारिस है

मालिक है तू वतन का, मातृभूमि तेरी विरासत है

चाहे हो बर्फ, या हो रेगिस्तान की गर्म रेत

तू ही देश का रक्षक, तुझ से ही सियासत है

क्या लिखू तुझ पे, तू तो सरहदों का वारिस है,

मालिक है तू वतन का, मातृभूमि तेरी विरासत है।।


छोड़ नवेली दुल्हन को घर पे, युद्ध जो तूने सरहदों पे किए

बचाने को लाज वतन की, सर अपने दिए

नतमस्तक है सर मेरा, नम मेरी आँखें है

हमारी उम्र भी लग जाये तुझे, यही खुद से सिफारिश है

क्या लिखू तुझ पे, तू तो सरहदों का वारिस है,

मालिक है तू वतन का, मातृभूमि तेरी विरासत है।।


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