मिली साहा

Inspirational

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मिली साहा

Inspirational

अहिल्याबाई होल्कर

अहिल्याबाई होल्कर

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नारी की पहचान, उसकी शक्ति को परिभाषित करता।

अहिल्याबाई का सुदृढ़ व्यक्तित्व, उनकी जीवन गाथा।।


सत्रहवीं शताब्दी पच्चीस में था, चमका एक सितारा।

धन्य हो गया होल्कर वंश, धन्य हुई थी महाराष्ट्र धरा।।


मंकोजी राव शिंदे की लाडली, अहिल्याबाई होल्कर।

अपनी निजता को समग्रता के लिए किया न्योछावर।।


राजमाता ही नहीं जगमाता थीं निष्ठावान, परोपकारी।

दया की देवी वो, जग कल्याण जिसके लिए सर्वोपरि।।


मालवा की पहचान वो, थीं विलक्षण प्रतिभा की धनी।

देख कर उनके अद्भुत साहस को सबको होती हैरानी।।


मुश्किलों में भी नहीं हुई अपने मार्ग से कभी विचलित।

शिव भक्ति और सेवा भावना, बचपन से उनमें निहित।।


जिस समय इजाज़त ना थी स्त्रियों को बाहर जाने की।

उस समय उनके पिता ने ज्योत जलाई इनमें शिक्षा की।।


बाल विवाह प्रथा के तहत आठ वर्ष में ही विहाई गई।

कच्ची उम्र में ही राजघराने की बहू बनी अहिल्याबाई।।


युद्ध और सैन्य कौशल में पति को करती प्रोत्साहित।

राजकाज में भी मदद को, सदैव रहती थी उत्साहित।।


पिता सम ससुर से मिला प्रशासनिक शिक्षा का ज्ञान।

सुख से कट रहा था जीवन हर दुख से होकर अंजान।।


पर नियति को कुछ और मंजूर दुःखों का पहाड़ टूटा।

मात्र इक्कीस वर्ष की उम्र में ही जीवन कोरा हो गया।।


सती होने की सोची तब, मन ऐसा हो गया था व्यथित।

सती प्रथा की आग उस वक्त समाज में थी प्रज्वलित।।


तब ससुर के कहने पर उन्होंने खुद को हिम्मत बंधाई।

राजपाट में तब करने लगी मदद उनकी, अहिल्याबाई।।


कुछ समय बाद ससुर फिर बेटे का भी हो गया देहांत।

पति खोया अहिल्या ने, खोया पुत्र ससुर पिता समान।।


दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था फिर भी खुद को संभाला।

हिम्मत न हारी प्रजा पर इसका प्रभाव ना पड़ने दिया।।


मालवा की शासक बनकर बिखरते राज्य को संभाला।

विरोध किया कई लोगों ने डटी रही महारानी अहिल्या।।


अपनी प्रजा की रक्षा हेतु युद्ध को, सदैव रहती तत्पर।

दुश्मन भी हो जाते दंग उनकी शक्ति पराक्रम देखकर।।


बढ़ने लगी प्रांत में जब, चोरी हत्या अशांति की छाया।

अब महारानी ने कुशलता से इन पे था लगाम लगाया।।


कला व्यवसाय शिक्षा का अपने प्रांत में किया विकास।

दूरदर्शी सोच थी इनकी व्यक्तित्व इनका बड़ा ही खास।।


साहित्य संगीत और कला हेतु बनवाया अहिल्या भवन।

मंदिरों तीर्थ स्थलों के निर्माण में, लगाया अपना जीवन।।


इतना ही नहीं कुएं, विश्राम ग्रहों का करवाया निर्माण।

शिक्षा कला कौशल क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण था योगदान।।


भारत के अनेक हिस्सों में, अहिल्याबाई ने कार्य किए।

बनारस में अन्नपूर्णा और गया में विष्णु मंदिर बनवाए।।


काशी मथुरा जैसे बड़े-बड़े मंदिरों का किया जीर्णोद्धार।

गरीबों भूखों के लिए खोले अन्नक्षेत्र शासक बड़ी उदार।।


इन्हीं की बदौलत इंदौर की पहचान विकसित शहरों में।

संपूर्ण जीवन अपना समर्पित कर दिया समाज सेवा में।।


विधवाओं की स्थिति सुधारी पति धन में बनाया हकदार।

अदम्य नारी शक्ति से, स्त्री शिक्षा स्थिति में किया सुधार।।


कई महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनीं हैं अहिल्याबाई।

शिव की परम भक्त वो, हस्ताक्षर पर शिव नाम लिखाई।।


विदा हो गईं संसार से पर अपने किए कार्य में हैं समाई।

नारी शक्ति की पहचान बनी हैं, राजमाता अहिल्याबाई।।



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