महर्षि वाल्मीकि
महर्षि वाल्मीकि
आदि महाकाव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की रोचक है कथा
एक डाकू से महर्षि वाल्मीकि बनने तक का सफर था बड़ा अनोखा
रत्नाकर नाम के डाकू थे वाल्मीकि जी, लुटते थे वन में आए लोगों को
इसी प्रकार एक दिन करने लगे वे प्रयास लूटने का नारद मुनि को
नारद मुनि बोले क्यों करते हो ऐसा काम क्यों बनते हो पाप के भागीदार
रत्नाकर ने कहा नारद मुनि से इसी लूटपाट से चलता है मेरा परिवार,
अच्छा तो जाकर पूछो परिवार से तुम्हारे पाप कर्मों में बनेंगे हिस्सेदार
आघात लगा रत्नाकर को जब परिवार ने इस बात से किया इनकार
गिर पड़े वे नारद मुनि के चरणों में कैसे होगा इस पाप का प्रायश्चित
नारद मुनि ने समझाया राम नाम का जाप करो यही उपाय है उचित
धुल गए उनके समस्त पाप हजारों वर्षों तक निष्ठा पूर्वक नाम जप से
वाल्मीकि नाम मिला तब उनको तन पर बने दीमकों के घर वाल्मिक से।
