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मिली साहा

Others

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मिली साहा

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यादें आंगन की

यादें आंगन की

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आज भी जीवन को महका जाती वो यादें आंगन की,

कानों में मधुर संगीत घोलती अठखेलियां बचपन की,


ये सुनहरी मीठी यादें ही, हर ग़म में बन जातीं सहारा,

मुस्कान आ जाती होठों पे जब खुले यादों का पिटारा,


बीते हर लम्हें की तस्वीर आंँखों में हो जाती हैं जीवंत,

यादों की ये दस्तक पलभर में ही खुशियांँ लाती अनंत,


ऐसा लगता मानो कुछ भी तो नहीं बदला है जीवन में,

आज भी चहचहाहट मेरी वहां मौजूद है उस आंगन में,


जो पल-पल पुकारती है,दिल पे एक सी आहट देती है,

मेरे भीतर की ये दुनिया, मेरी पलकों में सिमट जाती है।



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