STORYMIRROR

मिली साहा

Abstract

4.5  

मिली साहा

Abstract

ये रास्ते ज़िंदगी के

ये रास्ते ज़िंदगी के

1 min
306


ये रास्ते ज़िन्दगी के, 

कभी अपने-अपने से हैं,

तो कभी बेगाने से लगते हैं।


कभी भटका देते हैं ये हमें, 

तो कभी मंजिल तक पहुंचाकर,

कितने तजुर्बे कितने अनुभव देते हैं।


इन्हीं रास्तों पर चलकर,

कुछ रिश्ते बन जाते हैं खास,

तो कुछ हमसे बहुत दूर चले जाते हैं।


कभी हार तो कभी जीत से,

ये रास्ते ज़िन्दगी के इस सफ़र में,

कितने मोड़ कितने ही रंग दिखाते हैं।


कभी तनहाई का एक मंजर,

तो कभी बनकर हमारा हमसफ़र,

हर सफ़र के ये रास्ते गवाह बन जाते हैं।


जोड़ते हैं ये कभी दिलों को,

तो कभी दर्द ज़ख्मों को सहलाकर,

हमारे हमदर्द हमारा सहारा बन जाते हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract