नज़रिया
नज़रिया
किसी को आजमाने की
गुस्ताखी ना कर
सब ख़ुदा के बंदे हैं
खामखां उनकी तौहीन होगी
अक्स तो वाकई में साफ़ है
खामियां तो तुझमें है
तराशना हे तो
अपने हुनर को तराश !!
अपना नज़रिया बदल
दिमाग से नहीं दिल से आज़मा
बुरा भी वो अच्छा भी वो
तेरे दहलीज पर आ कर सुकून मिले
वही इंसानियत है
इतना आसान नहीं ये सबक
आदतों को बदलना है बड़ा मुश्किल
रब की परछाई है मुअल्लिम
खुद को निछावर कर दे कदमों पर
राह दूजा ना कोई
महफूज़ कर देंगे
इस एहसास को
तू ही तू तो है संसार में
और दूजा ना कोई
किस्सा कोई भी हो महानाटक का हिस्सा है तू .......।।