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Ajay Singla

Abstract

4.6  

Ajay Singla

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प्यार की परिभाषा

प्यार की परिभाषा

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चार साल का बच्चा था मैं 

आँख मेरी भर गयी 

चॉक्लेट मेरी पसंद की 

मिट्टी में थी पड़ गयी। 


बहन मेरी छोटी सी थी 

कहने लगी हो न दुखी 

चॉक्लेट मेरी तुम ले लो 

मैं पहले ही खा चुकी। 


इतने में मेरा वो भाई 

कहता देता हूँ तुझे 

मेरी भी ये तुम ही ले लो 

मीठा नहीं पसंद मुझे। 


पापा बोले दो न दो इसे 

एक की दरकार है 

मम्मी बोली चुप रहो जी 

ये तो इनका प्यार है। 


पढ़ने में अच्छी पकड़ थी 

मेडिकल में नंबर आया 

पापा साइंस थे पढ़ाते 

उन्होंने मुझको था पढ़ाया। 


 हॉस्टल में जाना था जब 

गाडी आ के ही खड़ी थी 

मम्मी पापा दोनों चुप थे 

आँखों में उनके नमी थी। 


पहली बार तो दूर इतनी 

अकेले यूँ मैं जा रहा था 

डॉक्टर मैं बनने वाला 

मुझको ये सब भा रहा था। 


उनकी आँखों में जो देखा 

आंसू का अम्बार है 

आँख मेरी भी भर आयी 

हाँ यही तो प्यार है। 


हॉस्टल में रह रहा था 

उस से दूर था रहना पड़ता 

उससे मिलने चला था आता 

पढाई में था मन न लगता। 


पत्र लिख मुझको बताया 

पता चला जब उसको ये सब 

रास्ते अपने अलग हैं 

खत्म हमारा प्यार है अब। 


दिल मेरा तब टूट गया था 

मन में मैंने था ये ठाना 

बन के कुछ दिखलाऊंगा मैं 

टॉप करके फिर मैं माना। 


बाद में जब पता चला कि 

मेरी याद में रोती थी वो 

आंसू थमते थे न उसके 

रात भर न सोती थी वो। 


प्यार के रिश्ते समझते 

अपने प्रेमी की भलाई 

चाहे सहनी ही पड़े उसे 

जीवन भर की भी जुदाई। 


मैंने पूछा क्या करूं मैं 

मेरे मन पर भार है 

थोड़ी रुक के बोली फिर वो 

समझ लो ये प्यार है। 

 

मेरा एक्सीडेंट हुआ जब 

सर्जेरी करनी पड़ी थी 

दोस्तों ने मिल के दे दी 

रकम वो काफी बड़ी थी। 


होश मुझको जिस दिन आया 

पूछा ये किसने लगाया 

सभी खुश थे मैं सही हूँ 

किसी ने कुछ न बताया 


पैसा तो है आना जाना 

तू हमारा यार है 

ठीक हो जा जल्दी से अब 

ये हमारा प्यार है। 


कॉलेज से निकला शादी हो गयी 

बीवी मिल गयी बच्चे हो गए 

गृहस्थी बढ़ गयी काम सारे 

दिन ब दिन वो अच्छे हो गए। 


एक दिन ऑफिस में मेरे 

काम ज्यादा, थक के आया 

बीवी को कहा सर दर्द है 

सारा किस्सा कह सुनाया। 


किचन जा के बीवी ने फिर 

कड़क सी एक चाय बनाई 

सर दबाया बैठी रही वो 

दर्द की हो गयी विदाई। 


हाथ उसका थोड़ा गरम था 

मुझे लगा बुखार है 

थर्मामीटर उसने लगाया

 बोली एक सो चार है। 


कहीं ये रीडिंग गलत न हो 

खाना लगाऊं तैयार है 

मैंने बोला सब मैं समझूँ 

ये तुम्हारा प्यार है। 


प्यार से भरा है हर रिश्ता 

सबकी अपनी मर्यादा है 

तुम कभी ये कह नहीं सकते 

किस में कम किस में ज्यादा है। 


प्यार बहुत मुझको मिला है 

अब जानूँ न अभिलाषा क्या है 

समझ में मेरे न आये 

प्यार की परिभाषा क्या है।


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