माँ तुझे प्रणाम।
माँ तुझे प्रणाम।
माँ तुझे प्रणाम।
भरती विश्वास तेरे अधरों की मुस्कान।
तुझसे ही मेरी पहचान
मुझमें बसती तेरी जान।
हुए कहीं भी मेरे दिन और रात
वतन की मिट्टी का ही रहा एहसास।
ज्वाला बन कर गया, ज्वाला ही रहा।
तेरी दुआओं से राख मैं बन न सका ।
ख्वाब में बुनता गया।
हकीकत तू बनाती गई।
भारत के हर अक्षर का
अर्थ हमें समझाती गई।
कोई अंत कभी अंत बना नहीं।
गुरुर से सांसो को कभी महकाया नहीं।
दलदल में धसूं
ऐसा वक्त कभी आया नहीं।
देश ने कभी मुर्झाया नहीं।
सुरों में हमको सजाया है।
हर तकलीफ से हमको बचाया है।
हताशा में भी सबको हंसाया है।
राष्ट्र ने हमें क्षमाशील बनाया है।