श्री राम- भरत
श्री राम- भरत
भरत का भाव जगाते हैं, कलि को त्रेता बनाते हैं। राम गर त्यागी बने, भरत धर्म रक्षक रहे। धर्म रक्षक भरत की कथा सुनाते हैं त्याग, भक्ति, समर्पण उपनाम कहाते हैं। सेवा में आतुर, भरत आदर्श बनाते हैं। निष्ठा और प्रेम का ( संगम दिखाते हैं।//// दीप जलाते हैं।) चित्रकूट को अश्रुपूर्ण कर, ((बात बताते हैं।// स्पंदित करते हैं)) चरण पादुका से चौदह वर्ष रामराज्य चलाते हैं। एक दिन अधिक अग्नि से आलिंगन। समर्पण की चरम सीमा पर जाते हैं। हम धर्म रक्षक भरत की कथा सुनाते हैं। संस्कृति और संस्कार (से समृद्ध यूँ ही नहीं कहाते हैं। / *से परिचय कराते हैं।) अगाध भक्ति की भरत ((अप्रतिम छवि बनाते हैं।// न्यारी छवि बनाते हैं।)) श्री राम वन में, नंदीग्राम में भरत तपस्वी रहते हैं। ((श्री राम का ध्यान लगाकर /// श्री राम ध्यान अनुरागी)) अयोध्या चलाते हैं। श्री राम आज्ञा पालन में रत अपना धर्म निभाते हैं। सेवक बन चरण पादुका सिंहासन पर बिठाते हैं। भ्रातृत्व प्रेम को प्रेरित करती बात बताई है। कलि में त्रेता की अब घड़ी आई है।// *कलि को त्रेता ने सीरत दिखाई है। भरत की अद्भुत हमने कथा सुनाई है। कलि को त्रेता ने सीरत दिखाई है। डॉ शैलजा भट्टड
