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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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श्री राम ध्यान

श्री राम ध्यान

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गुण समूह रटते-रटते हिय राममय हो जाता है। शीलगुण धाम का वरद हस्त मिल जाता है। ----------- प्रबुद्ध हो आत्मा यही सद्प्रयास हो। शांति और सौहार्द्र से स्वस्थ संवाद हो। श्री राम भजन से मेरा पुण्य बढ़ रहा है। हर शब्द में राम का ही जाप हो रहा है। चक्र की जागृति, सायुज्य मुक्ति मार्ग है। राम ही मुखरित, राम का अभय वरदान है पानी-सा सरल जीवन बना। बहती नदी का अवरोध मिटा। मन क्रम वचन में संतुलन से जीवन प्रभु प्रसाद बना। न शोक न संशय, अंधकार मिटा ज्ञान का प्रकाश ही प्रकाश बढ़ा। अब लगता है कलि तर जाएगा जन-जन में त्रेता जग जाएगा राम नाम जाप से ही ऐश्वर्य बढ़ जाएगा। सहज ही कैवल्य पथ खुल जाएगा। हर कण हर क्षण प्रभु प्रसाद है भेद कई बनाए हमने पथ भी कई सजाए हमने सत्संग पथ पर आकर ही मन ने भेद मिटाया है श्री राम ध्यान से अध्यात्म ज्ञान सहज ही आया है। न अति हो न कमी रहे त्रेता की रीत निराली थी मर्यादा में रहते निर्मलता भी न्यारी थी। जीवन जिए कैसे आचरण बनाए कैसे पटकथा त्रेता ने ही लिख दी थी कलि को पग-पग पर राममय करने की प्रेरणा त्रेता ने ही भर दी थी। निर्बाध भक्ति अर्जन की विकट को सरल बनाने की बात सहज ही कह दी थी अभीप्सा राममय होने की सात्विकता से जीने की चाह सभी में भर दी थी। त्रिभुवन भूषण तरण-तारण। विशुद्ध भक्ति, जग निस्तारण। तेज पुंज छवि मनोहर प्रभु भाव सुंदर सुखकर


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