रचनाएँ/कहानियाँ/ गजल/ निबंध
हर वक्त ही आप गुस्से में रहते हो क्यूँ नहीं हमारी बात पर विश्वास करते हर वक्त ही आप गुस्से में रहते हो क्यूँ नहीं हमारी बात पर विश्वास करते
छोटी-छोटी बस्तियां स्थापित होती चली गई। इसी तरह मैं भी आगे बढ़ती रही। छोटी-छोटी बस्तियां स्थापित होती चली गई। इसी तरह मैं भी आगे बढ़ती रही।
इसी तरह मैं भी आगे बढ़ती रही। इसी तरह मैं भी आगे बढ़ती रही।
बिना परखे किसी की मदत करना खतरे से खली नहीं है ! बिना परखे किसी की मदत करना खतरे से खली नहीं है !
कालेज और बचपन की यादें सबको आनंद देती हैं। कालेज और बचपन की यादें सबको आनंद देती हैं।
मेरी बात पर तुम अमल अवश्य करना मेरी बात पर तुम अमल अवश्य करना