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शीला गहलावत सीरत

Others

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शीला गहलावत सीरत

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बीती बातों को याद कर हम दोनों

बीती बातों को याद कर हम दोनों

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बहुत बीती रात कल जब मेरे मन में नये- नये फूल खिल उठे । मेरी खुशियों का कोई ठिकाना ही नहीं था । जब उनको अपने अंगना में देखा । बरसो बात मुलाकात हुई थी । ऐसा लग रहा मानो आसमान जमीं पर उतर आया हो । दोस्त हम घनिष्ठ थे उन्हें रिश्ते में बदलना चाहते थे । लेकिन कुछ मजबूरियां आई जिनकी वजह से हम बिछड़ गये थे ।


आज बीती बातों को याद कर हम दोनों बहुत खुश थे । वो कालेज में इक्ट्ठा जाना, बैठ कैटीन में समोसे खाने रामदिया की जलेबी खानी । कालेज के बाग से अमरूद तोड़ खाने । माली हमारे पीछे भागता था

रहते हम एक साथ तो होते हमारे बच्चे पांच कह बात हमारा आज फिर हंसी का ठहाका निकल गया ।


आज हमारी खुशियों का कोई ठिकाना ही नहीं था । हम दोनों बहुत खुश थे ।


शीला गहलावत सीरत




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