बीती बातों को याद कर हम दोनों
बीती बातों को याद कर हम दोनों
बहुत बीती रात कल जब मेरे मन में नये- नये फूल खिल उठे । मेरी खुशियों का कोई ठिकाना ही नहीं था । जब उनको अपने अंगना में देखा । बरसो बात मुलाकात हुई थी । ऐसा लग रहा मानो आसमान जमीं पर उतर आया हो । दोस्त हम घनिष्ठ थे उन्हें रिश्ते में बदलना चाहते थे । लेकिन कुछ मजबूरियां आई जिनकी वजह से हम बिछड़ गये थे ।
आज बीती बातों को याद कर हम दोनों बहुत खुश थे । वो कालेज में इक्ट्ठा जाना, बैठ कैटीन में समोसे खाने रामदिया की जलेबी खानी । कालेज के बाग से अमरूद तोड़ खाने । माली हमारे पीछे भागता था
रहते हम एक साथ तो होते हमारे बच्चे पांच कह बात हमारा आज फिर हंसी का ठहाका निकल गया ।
आज हमारी खुशियों का कोई ठिकाना ही नहीं था । हम दोनों बहुत खुश थे ।
शीला गहलावत सीरत
