प्रकृति
प्रकृति
प्रकृति होती कितनी सरल है
हम फ़िझुल समझते गरल है
सबका ये मां पालन करती है,
प्रकृति होती बड़ी निर्मल है
प्रकृति में हरसमस्या का हल है
इसमें मां की ममता का बल है
प्रकृति देती मीठे-मीठे फल है
हम फैलाते इसमें गंदा जल है
हम कितने कृतघ्न कम्बल है
प्रकृति होती बहुत निःछल है
हम न जाने कब सुधरेंगे,
प्रकृति ने बहुत दिये कल है
आगे न रहेगा जीवन पल है,
गर प्रकृति को न दिया संबल है
प्रकृति बिन न होगा कल है
प्रकृति से हमारा जीवन जल है।
