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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

"आंटा-सांटा"

"आंटा-सांटा"

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यह जो होता है,आंटा-सांटा
रिश्तों को मारता है,चांटा
गर एक को चुभता है,कांटा
दूसरा व्यक्ति भी कहराता
बेटा ना रह जाये,कुंआरा
आज भी गांवों में है,माता
बेटियां तब तक है,रखती
जब तक न हो आंटा-सांटा
उम्र ना है,कोई भी बाधा
चाहे बालविवाह हो ज्यादा
छोरों की निभाने शादी वादा
कर रहे है,बस आंटा-सांटा
स्त्री हृदय में सदा सन्नाटा
किसकी सुने वो ज्यादा
एक तरफ तो भाई गाथा
दूजी ओर ससुराल छाता
लड़कियों को सबने ही डांटा
भाई वास्ते किया आंटा-सांटा
दोनों ओर ही उलझी ब्याहता
पत्नी या भाईधर्म उलझा नाता
क्या करेगा वो बेचारा लाड़ा?
बहनोई से कैसे करे लड़ाई?
या पत्नी को कहे वो टाटा
वो कुछ बोल नही है,पाता
यदि सही ना चला आंटा-सांटा
बहिन-बेटियों को मिलता चांटा
उन्हें क्यों कुर्बान किया जाता?
सर्वोत्तम बेटों को पढाये,ज्यादा
स्वतः बन्द होगा,आंटा-सांटा
लड़का पढा-लिखा होगा,बांका
जब बन्द होगी भ्रूण हत्या,दादा
आंटा-सांटा बन जायेगा,नाटा
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"


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