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Jalpa lalani 'Zoya'

Drama Tragedy Others

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Jalpa lalani 'Zoya'

Drama Tragedy Others

एक रिश्ता ऐसा भी

एक रिश्ता ऐसा भी

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एक माँ ने छह बच्चों को जन्म दिया

हमारे घर के पीछे था उसका बसेरा


हर रोज़ घर की छत से देखती में वो नज़ारा

खाना देती उन्हें, वो बच्चों को माँ का दूध पिलाना


बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां

जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्तेदारियां


एक दिन सुबह सवेरे गई में छत पर

नहीं दिखाई दी मुझे माँ, कहाँ होगी इस पहर


इधर-उधर सब जगह देखा, नहीं दिखी कहीं पर

किसी ने मुझे आगाह किया, वो माँ गई है मर


मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई

क्या होगा अब बच्चों का यहीं सोच रही


सब पड़ोसी बने बच्चों का सहारा

दो बच्चे मैं ले आई अपने घर


वो भाई को पसंद न आना तेरा

वो तुम्हारे लिए भाई से झगड़ना मेरा


कैसे तुम्हें खिलाती पिलाती और खेलती रहती हर पल तुम्हारे साथ

वो तुम दोनों बच्चों का आपस में प्यार और वो खेलना साथ साथ


रात को वापस तुम्हें अपने भाई बहन के पास छोड़ने जाना पड़ता

मुझे वो विरह का पल जैसे अकेला था कर जाता


एक बच्चे को ही ले के आओ घर, पापा ने बोला

एक बच्चे को रखा घर, टेड्डी नाम रखा मेरी पसंद का


पूरे दिन मेरे पीछे पीछे तेरा दौड़ना

जब मैं बैठ जाऊं तो मेरे चप्पल हटाकर बीच में तेरा सोना


थोड़ी देर तेरा खाना, मेरी गोदी में सोना

वो तुझे भाई बहन याद आना, वो तेरा रोना


देखा नहीं गया मुझसे, छोड़ आए तुझे उनके पास

छत पर से तेरा नाम ले के मेरा तुझे पुकारना

 

वो दीवार चढ़कर मेरे पास आने की तेरी कोशिश 

दोनों को लगन लगती थी एक दूसरे से मिलने की


फिर से घर ले आई, सब ने कहा रोयेगा थोड़े दिन

बहुत खेल रहा तू मेरे साथ, इस बार रख लिया मैंने तुझे रात भर


वो रात भर तेरा रोना, वो तेरे लिए मेरा हॉल में सोना

रात भर तेरी पॉटी साफ़ करना, जैसे बन गई थी मैं तेरी माँ


नहीं देखा गया पूरी रात तेरा रोना

छोड़ आई फिर से तुझे तेरे घर


बस हमारा वो छत से ही मिलना रहा बरकरार

थोड़े दिन बाद आई ख़बर, चला गया तू भी इस दुनिया से मुझे छोड़कर।


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