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Shailaja Bhattad

Drama

4  

Shailaja Bhattad

Drama

घर बैठे मतदान

घर बैठे मतदान

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वोटिंग मशीन घर में ला दो 

 ऐसे ही सरकार बना लो

 स्लॉथ और तुझमें फर्क नहीं

 कोयल पर भी कोई अर्क नहीं

 एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं 

तेरे लिए तो सारे अंगूर खट्टे हैं

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दूर की सोच को यूं नकारना

 स्वयं के महत्व को उन्नीसा आंकना 

गणतंत्र के इस त्यौहार में मतदाता तेरा उपनाम है

मतदान करना यही तेरा प्राथमिक काम है

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बूथ पर कल आप ईद का चांद होंगे

 मेरे न जाने से क्या फर्क पड़ता है?

 लोकतंत्र पर्व का मतदान से गर्व बढ़ता है

 एक वोट का महत्व नकारकर खुद को कम आँककर 

अति आत्मविश्वास से जीती जिताई जंग हरवा दोगे

खुद गिरकर पार्टी को भी ओंधें मुँह गिरवा दोगे

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विरोधियों ने क्या खूब जाल फेंका

 जीतेगी आपकी पार्टी ही कह कहकर सबके अति आत्मविश्वास को तवे पर सेंका

 टीवी के सामने बैठकर चाट पकौड़ी खाने लगे 

ऐसी की ठंड में जिम्मेदारी ठंडे बस्ते में डालने लगे

हकीकत ने दी जम के मार है

 चालों से अनभिज्ञ सिर धुन रहे हैं

 ऐसी की ठंड में अब ठिठुर रहे हैं

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किरदार अपना निभाया नहीं असर अपना दिखाई नहीं 

आरोप प्रत्यारोप का अब खेल क्यों ?

शब्दों में व्यर्थ का झोल क्यों

 कंधे से कंधा मिलाया होता

 वोट करके कर्तव्य निभाया होता लोकतंत्र का मान बढ़ाया होता मुझे गर्व है अपने देश पर

 कहने भर से क्या होता है मतदान किया होता

 फिर गर्व से सिर उठाया होता परिणाम अगर सोचा होता 

स्वयं का महत्व आंका होता मतदाता उपनाम होता 

जिम्मेदार नागरिक का सम्मान न खोता

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अपनी पार्टी ही जीतेगी

 कह कहकर थक गए

 वोटिंग के लिए जाना है

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bsp;देखो यह तो डेट ही भूल गए

 क्या यह सच्चाई थी या गुमराह करने की योजना बनाई थी

इनकी बात सुन सब घर पर रह गए

अपनी पार्टी जीतेगी कहने वाले विरोधी पार्टी के निकल गए

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यह छुट्टी खास है

 5 साल बाद मिली सौगात है

यूँ ही कैसे गवां दूँ 

 शनि रवि के साथ बड़ी योजना न 

बना लूँ 

मतदान का फिर क्या होगा? आपका एक वोट वहां कम न होगा ?

एक क्विंटल गेहूं से एक दाना कम होना खलता नहीं

मेरी एक छुट्टी कम हो जाए यह मुझे चलता नहीं

 दृष्टि में व्यापकता ला

व्यवहार में व्यवहारिकता ला

 लोमड़ी अपनी चाल चल रही

 मतदान पेटी में किसी और की ही सेज सज रही

 षड्यंत्र की चक्की चल रही

 दाने की चमक ढल रही 

 डनलप की गद्दी छोड़

 सोच सटीक निकाल तोड़

अब तो संभव नहीं

 टिकट हमारी बन गई

 5 साल बाद देखेंगे 

अगली बार हम खुद राजनीति में आने की सोचेंगे 

यह तो खूब रही

 5 साल बाद घूमने का टिकट तो फिर हम सब आज ही बना लेंगे जब आपको वोट ही नहीं मिलेगा फिर कैसे राजनीति सोचोगे

 घर बैठे क्या अगले 5 साल की योजना बनाओगे?

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जंगल में चुनाव था 

स्लॉथ लेकिन ईद का चांद था मीडिया असमंजस में 

उत्सुकता वश पहुंची स्लॉथ के घर में

 वोट आपने दिया नहीं

 विश्वास खुद पर किया नहीं 

मेरा एक वोट क्या ही पार्टी जिताएगा 

सब दिग्गजों में मेरा क्रम अंत में ही आएगा

 मेरी सोच पर कौन मुहर लगाएगा कौन सी पार्टी जीतेगी इससे क्या अंतर आएगा 

कई सालों का सिलसिला यूं ही आगे चलता जाएगा

आंखें कभी खोली नहीं

वर्तमान की बोली बोली नहीं

 भूत की बात करते हो

 इतना अंधेरे में क्यों रहते हो

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