STORYMIRROR

Prabal Pratap Singh Sikarwar

Drama

4.9  

Prabal Pratap Singh Sikarwar

Drama

बस...लिख देना

बस...लिख देना

1 min
22.1K


जब सबा की महक इस धूप की

गर्मी में कहीं खो जाए...

जब आसमाँ की रंगत शब की

घनी छांव में कहीं सो जाए...


ये चाँदनी हर ज़मीं के

बदन को भिगा जाए...

या सियाह चादर पे

सितारों से जुगनू जगमगायें...


रात का अँधेरा ओस की

बूँदों तले सिमट जाए...

या फिर से दिन का उजाला

इस बे-कस हवाओं से लिपट जाए...


चाहे बर्फ़ीली फ़िज़ाओं से

इन फूलों की ख़ुशबू बिखर जाए...

या ये गर्म सदाएँ तेरे चेहरे की

रौनक़ से निखर जायें...


चाहे बारिश की बूँदें बनकर

लफ़्ज़ ते

रे लबों को तर कर जाएँ...

या बहारों की शबनम

तेरे नक़्श से होकर

सफ़र कर जाएँ...


चाहे ख़ुशी की रंगत

तेरे चेहरे पे

अपनी छाप छोड़ जाए...


या ग़म का पहर

मुस्कुराहटों से

तेरा मुँह मोड़ जाए...


बस गुज़रते हर लम्हे को

अल्फ़ाज़ों में बयां कर देना...

सुलगते अश्कों को

इन पलकों के घेरों में

कहीं फ़ना कर देना...


इन मय-क़शी सदाओं में

ज़रा सी अज़मत भर देना...

गुज़ारिश है तुमसे,

एक बार,

बे-दिली से ही सही...

बस...लिख देना...!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama