रावण का दर्द
रावण का दर्द
दशहरा आया सब ने रावण का पुतला बनाया
जलाने रावण को यह सब ने माना पर किसी ने ना अपने अंदर झांका
रावण को जलाएंगे ताकि दूर हो बुराइयों का साया
पर किसी ने भी ना किया अपने मन से बुराइयों का सफाया
देख रावण भी रोने लगा
जिस वजह से उसे जलाते हैं उस वजह का तो अभी ना नाश हुआ
रावण ने तो पाया था बुरे कर्मों का फल
पर इन दुनिया वालों ने तो है निकाला बस झूठे दिखावे का हल
बुराइयों से तो अब भी है यह जग घिरा
तो रावण को जलाने का क्या उद्देश्य हुआ
समाज में तो ना जाने कैसा व्यवहार हो रहा है
बस बोलने का ही तो दौर शुरू हो गया है
रावण का वध करके सबको लगता है जैसे हुई बुराई पर सच्चाई की जीत है
पर जब समाज में देखा तो लगा यह बस बनावटी बातों की ही जीत है
बुराई का नाश पहले स्वयं करो फिर, रावण को जलाया करो
जब खुद भी हो जाओ प्रभु राम, तभी सच्चा दशहरा मनाया करो ।।
तभी सच्चा दशहरा मनाया करो ।।
