स्वच्छंद विचार
स्वच्छंद विचार
जिम्मेदारियों के कद रोज बढ़ते ही रहे।
अरमानों के बवंडर उठते ही रहे ।
तूफानों से आकर झकझोरते रहे।
पर मुस्कान को कभी फीका न कर सके।
मेरी मंजिल के सफर को कभी मोड़ न सके।
हौसले ही है जो सपनों से रूबरू कराते हैं ।
तकदीर को तस्वीर बना देते हैं।
उम्मीद को हकीकत में बदल देते हैं।
नामुमकिन को शब्दकोश से हटा देते हैं।