जीवन के अनुभव को शब्द देने की कोशिश
अपने घोसले में वापस आती है उसी रास्ते से वापस आती है अपने घोसले में वापस आती है उसी रास्ते से वापस आती है
प्रेम हिंसक बन जाता है। अपने पराये हो जाते हैं प्रेम हिंसक बन जाता है। अपने पराये हो जाते हैं
देखो जहाँ मनुष्य के पांव के निशान खत्म हुये थे वहीं दुनिया की सारी बस्तियां समाप्त देखो जहाँ मनुष्य के पांव के निशान खत्म हुये थे वहीं दुनिया की सारी बस्तियां समाप...
बहुत देखा है मैंने उगते हुये सूरज को, बहुत देखी है मैंने बस्तियां। बहुत देखा है मैंने उगते हुये सूरज को, बहुत देखी है मैंने बस्तियां।
कविता मुझसे बात करने लगी है और मैं धीरे धीरे कविता में विलीन हो रहा हूँ। कविता मुझसे बात करने लगी है और मैं धीरे धीरे कविता में विलीन हो रहा हूँ।
वो कली खिलने से दो दिन पहले फूल के रूप में मुझे क्यों दिख रही थी। वो कली खिलने से दो दिन पहले फूल के रूप में मुझे क्यों दिख रही थी।
"तुम भूलने लायक नहीं हो और दो पल की मुलाकात गहरी अनुभति के पल थे। "तुम भूलने लायक नहीं हो और दो पल की मुलाकात गहरी अनुभति के पल थे।
वो मुझसे मोक्ष चाहती हैं या मुझे मोक्ष देने के लिये अपने पास बुला रही हैं। वो मुझसे मोक्ष चाहती हैं या मुझे मोक्ष देने के लिये अपने पास बुला रही हैं।
बाबा के आश्रम तक पहुंचते पहुंचते वही तनाव उल्लास में बदल जाता है। बाबा के आश्रम तक पहुंचते पहुंचते वही तनाव उल्लास में बदल जाता है।
फिर भी वो जीत के विश्वास में है और कहता है यह सरकार का विश्वास भी होना चाहिये। फिर भी वो जीत के विश्वास में है और कहता है यह सरकार का विश्वास भी होना चाहिये।