Surendra kumar singh

Inspirational

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Surendra kumar singh

Inspirational

एक ठहरा हुआ पल

एक ठहरा हुआ पल

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वो अक्सर मुझसे बात करता है और जब हमारी बातें होती हैं तो हमारे उसके बीच एक दीवार सी होती है।हम उसे देख नहीं पाते ,वो मुझे देख पाता है या नहीं कह नहीं सकता।पर बातें खूब होती हैं।वो अपनी कहानी सुनाता है और मैं बहुत तल्लीनता से उसकी बातें सुनता हूँ।

अभी कल हमारी उससे बात हुयी।कहने लगा देखो कुछ लोग मेरी जान के दुश्मन हैं।वो लोग मेरी हत्या करवा सकते हैं।वे लोग जाने कितनी कोशिशें की हैं मुझे मार डालने की।पर मैं अभी हूँ।उनके हर हमले को मैं नाकाम बना देता हूँ।पहले मेरी समझ मे नहीं आता था कि वे लोग मुझे मारना क्यों चाहते हैं और अब मुझे इस बात की सूचना मिल चुकी है कि वे लोग मुझे मारना क्यों चाहते हैं।वे लोग हमारे ही हित की आड़ में हमे अपनी अंगुलियों पर नचाना चाहते हैं

हमारी सभ्यता को बदलना चाहते हैं।हमारी सरकार पर अपना नियंत्रण करना चाहते हैं।अभी तक वो ऐसा करने में सफल रहे हैं।देश की सरकार चलाने वाले लोग उसे अपना शुभचिंतक मानते हैं।थोड़े से लोग जरूर हैं सरकार की ब्यवस्था में जो उनके मंतब्य और उनकी गतिविधियों को गौर से देखते हैं और उनसे देश को बचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन मैं इसका जिक्र नहीं कर सकता।कुछ बाते कहने की नहीं करने की होती हैं और मेरी बात कोई सुनने वाला नहीं है।कभी कभी मुझको लगता है कि इनकी गतिविधियां देश के विरुद्ध हैं लेकिन खुलेआम ये लोग सरकार का हिस्सा बने हुये हैं।हिस्सा ही नहीं बने हुये हैं बल्कि सरकार उनका हिस्सा है जैसा लगती है।मतलब लगता है वही सरकार चला रहे हैं पर सरकार घोषित रूप से उन गतिविधियों के विरुद्ध है जिनका ये संचालन करते हैं।अजीब सा नुस्खा है इनका कि ये खुद को सरकार का हिस्सा या सरकार का शुभचिंतक साबित करने में सफल रहते हैं।

मैं ठहरा आम आदमी,जिसके हित मे सरकार भी खड़ी है और विपक्ष भी मेरे हित की बात उत्तेजनात्मक तरीके से उठाता रहता है।

मैंने बहुत कोशिशें की इनके क्रियाकलाप सरकार के सामने आएं।

पर मैं सफल नहीं हो सका हूँ अभी तक।या तो मेरी बात अनसुनी रह जाती है और जहाँ नियमानुसार जबाब देना आवश्यक हो जाता है मुझे जबाब मिल जाता है और उस जबाब में सच्चाई पर कानून का पर्दा डाल दिया जाता है।पर मैं अपना संघर्ष अपनी जीत तक जारी रखूंगा।

मैंने कहा जब सरकार उनके ही नियंत्रण में है तो तुम क्या कर सकते हो।छोड़ों ये सब तुम्हारी जान को खतरा है।उसने कहा जीने मरने की बात मत करो न जीवन देना उनके हाथ में है और न जीवन लेना उनके हाथ मे है।ये तो प्रकृति की ब्यवस्था है

इसमें हस्तक्षेप सम्भव नहीं है ।लेकिन उन्हें लगता है ऐसा वो कर लेंगें।मुझे पता है उनकी शक्ति ताकत का,उनके सरकार पर प्रभाव का।लेकिन मैं सरकार को एक वैधानिक ब्यवस्था के रूप में देखता हूँ और अवैधानिक गतिविधियां सरकार में शामिल लोगों की निजी बातें हैं।अपने लाभ के लिये संगठित रूप से लोग सरकार को प्रभावित करने में कामयाब रहते है

जबकि वैधानिक रूप से सरकार का दायित्व उनके विरुद्ध सक्रिय होने का है।यह सरकार की सार्वजनिक रूप की जाने वाली घोषणा भी है और उसके पालन की एक ब्यवस्था भी है

मैं उस बनती हुयी ब्यवस्था से उम्मीद रखता हूँ।

  सचमुच उस आदमी ने मुझे बहुत प्रभावित किया है।बिना सामने आये वो सबकुछ बदल देना चाहता है।सरकार को उसकी जिम्मेदारियों को निभाने का विश्वास है उसके अंदर।मैं उसकी कहानी सुना रहा हूँ आप को लेकिन मैंने अभी तक उसका चेहरा नहीं देखा है।उसकी कहानी का एक पक्ष यह भी है कि वो अपना सब कुछ गंवा चुका है।एक तरह से उसे बर्बाद कर दिया गया है उसका सब कुछ छीन लिया गया है।उसकी आवाज को कोई सुनता ही नही है तो इंसाफ मिलने की बात तो दूर की बात है।

फिर भी वो जीत के विश्वास में है और कहता है यह सरकार का विश्वास भी होना चाहिये।


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