Surendra kumar singh

Abstract

4  

Surendra kumar singh

Abstract

बादल

बादल

2 mins
260



"तुमने मुझे बुलाया और मैं तुम्हारे घर पर था।सुंदर और आनन्ददायक पल थे।लगता था मैं कोई सपना देख रहा हूँ।लगता था मेरा अस्तित्व तुम्हारे सौंदर्य में विलीन हो जायेगा और तुमने तिनके की तरह कल्पनाशील यथार्थ को तोड़ दिया।मुझे अपने घर अकेला छोड़कर जाने किससे मिलने कहाँ चली गयी और अब जब मिली हो तो बदले हुए रूप में।"

 आश्चर्य से,"मैं तो कॉंफिडेंट थी कि कोई मुझे पहचान नहीं पायेगा।जिनके साथ मैने अधिक समय गुजारा है वो भी मुझे पहचान नहीं पाये।तुमसे तो बस दो पल की मुलाकात थी और तुमने तो पहली ही नजर में मुझे पहचान लिया।"

"तुम भूलने लायक नहीं हो और दो पल की मुलाकात गहरी अनुभति के पल थे।जीवन की एक विस्मयकारी घटना थी।मैं तो तुम्हारी परछाई से ही तुम्हे पहचान सकता हूँ।"

"आई एम अ परफेक्ट आर्टिस्ट।मैं अपने रोल में जीवंत हो उठती हूँ।पर तुम्हारे पास आंख है।आजकल एक ऐड कर रही हूँ, जिसमें मुझे परी बनना है और स्वर्ग से लाकर एक प्रोडक्ट लांच करना है।एक आइटम है सुख और शांति का।वो यूनिवर्सल मार्केट की एक थाट है।जब से मुझे यह ऐड मिला है लगता है मैं उड़ सकती हूँ परियों की तरह।बातें कर सकती हूँ बादलों से,नदियों से,आसमान से,परिंदों से,फूलों से।"

"यू आर इन नीड ऑफ सीरियस मेडिकल चेकअप।अपने घर में नंगी रहना,परियों की तरह उड़ना,प्रकृति के विभिन्न अवयवों से बातें कर लेना और यह सब मुझसे कहना।ऑल आर दि न्यूज़ फ्रॉम अ लस्टिअस फ्लेवर।"

 यू कांट बिलीव मैं उड़ी और बादलों से आगे निकल गयी।वहीं आवाज आई "शुभ्रा शुभ्रा, सुनो सुनो ,रुको रुको।" मैं तो डर गयी कि आकाश में मुझे कौन जानता है।मैं रुकी और बादलों से घिर गयी।आवाज आने लगी,"बिलीव मि शुभ्रा मैं बादल बोल रहा हूँ।मैं बोल सकता हूँ।मैं बहुत उदास हूँ और कवियों के ब्यवहार से खिन्न हूँ।क्या क्या बड़बड़ाते रहते हैं मेरे बारे में। जैसे मैं समुन्दर में बरसता हूँ।वहाँ बरसता हूँ जहाँ हरियाली होती है।रेगिस्तान में नहीं बरसता।गर्म होकर चटकती हुयी धरती पर नहीं बरसता।वे सिर्फ हवाओं में उड़ते हुये बादलों को देख पाते हैं जो उन्हें मनचाही जगहों पर बरसने के लिये उड़ा ले जाते हैं।हवाओं की शिकायत नहीं करते।में,में हवाओं में उड़ने वाला बादल नहीं हूँ वहीं बरसता हूँ जहाँ मेरी जरूरत होती है।जहाँ जरूरत हो वहाँ बरस सकता हूँ।पर कवि मुझे देख नहीं पाते,सुन नहीं पाते। शुभ्रा मेरे लिये काल आ रही है।ये जिसकी है न उसकी आवाज मेरे लिये एक अधिसूचना होती है और हाँ जब तुम्हारे ये बोलने वाले बादल बरसने लगें न तो मुझे जरूर बुला लेना।साथ साथ भींगेंगे पानी मे।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract