Surendra kumar singh

Inspirational

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Surendra kumar singh

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योग बाबा

योग बाबा

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योग बाबा के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है।जैसे उनकी कुटी में जाने से बहुत सकून मिलता है।बहुत सी जानकारियां मिलती हैं।जीवन की जटिल से जटिल समस्या का सरल सा समाधान मिलता है। मन की उलझनें खत्म हो जाती हैं।आप लाख तनाव में हों बाबा के दर्शन की सोचिए तनाव शिथिल होने लगता है और बाबा के आश्रम तक पहुंचते पहुंचते वही तनाव उल्लास में बदल जाता है।

ऐसा सुना जाता है योग बाबा के बारे में।

   सकारात्मक ऊर्जा का एक केंद्र है बाबा की कुटी।वहाँ जाने का कोई रास्ता नहीं है।चारो चारो तरफ रेगिस्तान है और उसके बीच मे है बाबा की कुटी।लोग आते जाते तो रहते हैं लेकिन रेत हवा में उड़कर विखरती रहती है और जाने के निशान मिटते रहते हैं।इसलिए कोई रास्ता आज तक बन नहीं पाया है।

   बहुत भीड़ तो नहीं होती बाबा की कुटी में में लेकिन जब भी आप वहाँ जायेगें कोई न कोई आप को मिल जाएगा।सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि कुटी के अंदर या बाहर दूर दूर तक पानी का कोई श्रोत नहीं है।

बाबा को कभी भोजन करते या पानी पीते हुये कभी किसी ने देखा नहीं है।जाने वाले भी यह जानते हैं इसलिए अपने पीने का पानी लेकर ही कुटी पर जाते हैं।

  चूंकि कुटी पर जाने का कोई रास्ता नहीं है इसलिए हर तरफ से लोग कुटी पर जाते रहते हैं।चारो तरफ रेगिस्तान जमीन पर विखरी हुयी रेत बीच मे बाबा की कुटी।कुटी में हरियाली के नाम पर कैक्टस के फूल हैं।तरह तरह के कैक्टस के फूल,रंग विरंगे फूलों से लदे हुये।जिन्हें कभी पानी की आवश्यकता ही नहीं पड़ती और वो हरे भरे रहते हैं।फूलते रहते हैं।हंसते रहते हैं।बाबा भी कुटी पर आने वालों का मुस्कराते हुये स्वागत करते हैं और जाते समय मुस्कराते हुए ही विदा करते हैं।

   रेत में धँसते हुये लोग बाबा की कुटी पर पहुंचते रहते हैं बाबा के दर्शन करते हैं और खुशी खुशी अपने घर लौट आते हैं।

  जाने क्या जादू है बाबा के दर्शन में जो भी उनसे मिलता है खुश हो जाता है।अब तो यह धारणा ही बन चुकी है कि खुश रहना है तो बाबा के दर्शन करो।अधिकांश लोग जब काम के बोझ से बोझिल हो जाते हैं,तनाव ग्रस्त हो जाते हैं तो बाबा के दर्शन के लिये जाते हैं और खुश होकर वापस आकर मनोबल से अपना काम शुरू करते हैं।

  मैं भी बाबा का मुरीद हूँ।वैसे तो मैं हमेशा खुश रहने वाला आदमी हूँ, किसी भी परिस्थिति में खुशी मेरा दामन नहीं छोड़ती। फिर भी मैं अक्सर बाबा की कुटी पर जाया करता था,बाबा मुझसे मिलकर फ्रफुल्लित हो जाते है ।कुटी की बाउंडरी भी कैक्टस के पौधों से बनी हुयी थी। कांटेदार झाड़ियां,दीवार की तरह फैली हुई हैं कुटी के चारो तरफ

और एक किनारे पर एक चबूतरा है और जिस पर एक चटाई बिछी रहती है जिस पर बाबा बैठा करते हैं और वहीं लोग उनसे बात करते थे।मुझे भी वहाँ जाना अच्छ लगता है

इसलिए अच्छा लगता है कि हर आदमी वहाँ खुश नजर आता है,और इसलिए भी कि मैं जानना चाहता हूँ कि बिना कुछ खाये पिये  कोई आदमी स्वस्थ्य कैसे रह सकता है।

मैं जब भी जाता बाबा से यही।सवाल करता रहा हूँ और मैं जब जाता हूँ वहाँ बाबा मुझसे पूछते हैं कि तुम तो यही जानना चाहते हो कि मैं बिना खाये पिये कैसे जी रहा हूँ और एक बार मुझसे बोले थे कि जब मैं अपनी

इस चटाई पर बैठता हूँ मेरे शरीर की स्वस्थ्य रहने की सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं।एक बार मैंने बाबा से कहा था बाबा ये चटाई मुझे दे दें ताकी मुझे भी पेट भरने के लिये कोई काम नहीं करना पड़े।आराम से मैं भी घूमूं ये दुनिया और बाबा ने मुझसे कहा था तो तुम मुझे बिना खाये पिये मार डालना चाहते हो।जो चटाई मुझे भोजन देती है उसको अपने पास रखना चाहते हो।कहने लगे कभी तुमने मेरी इस चटाई को ध्यान से नहीं देखा है अगर देखते तो पाते यहाँ एक नई चटाई रोज बिछ जाती है और मैं सोचने लगा था कि सचमुच बाबा की चटाई हमेशा साफ रहती है और चमकती रहती है और बाबा ने कहा कि कहाँ रखोगे मेरी चटाई को।तुम्हारा घर तो बहुत सुंदर है और हर कमरे में सुंदर बेड लगा हुआ है।मैंने कहा था कि बाबा वो चटाई जमीन पर बिछा कर आप का ध्यान करूंगा।बाबा ने कहा था जाओ उसे लेलो और मुझे याद आता है वो आश्चर्य कि मैंने चटाई उठायी तो उसके नीचे एक और चटाई ठीक ठीक वैसी ही बिछी हुई थी।बाबा ने कहा कि तुम नये जमाने के लोग हो विज्ञान पर विश्वास करने वाले,तुम्हे इस बात का यकीन नहीं होगा कि इस चटाई पर बैठने मात्र से शरीर की सारी जरूरतें कैसे पूरी हो जाती हैं।पर तुम्हारे साथ ऐसा नहीं हो सकेगा जब भी तुम इस चटाई पर बैठोगे तुम्हे मैं याद आने लगूंगा।पर तुम एक काम कर सकते हो कि तुम्हारी तरह जो प्रश्न है लोगों के मन में और लोग मुझसे पूछ नहीं पाते हैं कि मैं बिना भोजन और पानी के कैसे जीता हूँ तो तुम लोगों को ये बताया करो कि बाबा रात को भेष बदलकर बस्ती में जाते हैं और बस्ती के सबसे अच्छे भोजनालय में खाना खाकर चले आते हैं।विज्ञान के सहारे जीने वालों लोगों को मेरी इस चटाई के विज्ञान का भ्रम भी जाता रहेगा और लोग मुझे पाखंडी बाबा भी कहने लगेँगे।भला कोई बिना खाये पिये भी जी सकता है क्या और अगर मैं जी रहा हूँ तो लोगों के लिये इसका उत्तर तुम्हारे पास है।एक वैज्ञानिक उत्तर।


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