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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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टूटे हुये सपने

टूटे हुये सपने

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टूटे हुये सपनों‌ के बियाबान में

सपनों का अनवरत आते रहना,

जीवन की जीवन्तता है

और टूटे हुये सपनों के कैनवास पर

ऐसा कोइ चित्र बनाना

जिसमें टूटन की झलक न‌ दिखे

कलाकार‌ की अदभुत कृति है,

और शब्दों का ऐसा कोइ झुंड

जो जीवन को‌ उमंग से भर दे

अतीत और भविष्य को

अपने अन्दर समाविष्ट कर‌ ले

साहित्यकार का नवगीत है।

नये प्रेम का दौर है

और सब संवर रहे है

परमात्मा भी संवरने के मोह से

कहाँ अलग हैं।


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