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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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नहीं बचने वाला

नहीं बचने वाला

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मैं भी जिंदगी में नहीं बचने वाला।

तू भी जिंदगी में नहीं बचने वाला।


चलो अब करो ना ये कड़वी बातें।

ना तू पचने वाला न मैं पचने वाला।


इंसानियत को कैसे खतरे में डाला।

ना तू बचने वाला न मैं बचने वाला।


अहं पालता है बनाकर दुमहले।

ना तू बसने वाला न मैं बसने वाला।


फिरकी जब लेगा वो ऊपर वाला 

ना तू बचने वाला न मैं बचने वाला।


खूँ से रंगा है 'सुओम' हर निवाला

ना तू रचने वाला न मैं रचने वाला।


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