Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract Classics Inspirational

4  

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract Classics Inspirational

जौहर का दर्द

जौहर का दर्द

2 mins
271


ऐ हिन्दू अब जाग भी जा, अंगारे लिखने वाला हूँ।

मैं बहती नदिया खुनों की, ये धारे लिखने वाला हूँ।

कल होश ना था मुझको भी, लिखता था रूप चांदनी में

जौहर पढ़कर हतप्रभ अब, ललकारें लिखने वाला हूँ।


जो कल थी बापू कहती अब जौहर करने वाली थी

जो कल थी प्राणों प्यारी वो जौहर करने वाली थी

पहनाती रक्षासूत्र सदा वो जौहर करने वाली थी

हृदय भाव की उज्जवल माँ वो जौहर करने वाली थी


उन हृदय टूटते आँसू के पनारे लिखने वाला हूँ।

मैं बहती नदिया खुनों की ये धारें लिखने वाला हूँ....


मन शब्द हीन हो जाता जब जौहर गाथा लिखता हूँ।

कुछ सूझ नहीं पाता है जब जब यह गाथा लिखता हूँ।

नमन है उन माताओ को बेटी के साथ जली होंगी

कैसे अग्नि को सौंप दई जो नाजो से पली होंगी


सावधान हो मुगल चिता की धधकारे लिखने वाला हूँ

मैं बहती नदिया खुनों की ये धारें लिखने वाला हूँ....


लड़ते लाखों से हजार, घर चिता बताकर आये थे

वो जीत युद्ध भी महलों में डरते डरते ही आये थे

वो जीत गए पर हार गए जो लड़ते लड़ते आये थे

देवी वो एक नहीं थी, जिन्हैं लड़ते लड़ते भाये थे


घर घर सूना गलियाँ सूनी दीवारे लिखने वाला हूँ

मैं बहती नदिया खुनों की ये धारें लिखने वाला हूँ....


यह लिखा नहीं है इसीलिए कि पढ़के आप भुला देना

यह लिखा नहीं है इसीलिए कि पढ़के आप थुका देना

हिन्दू हो तो राणा बनकर भारत मां का कर्ज चुकाओ

हिन्दू हो तो रुको अभी, तुम भाई चारा मत बन जाओ।


मुगली अत्याचारों पर भी प्रहारे लिखने वाला हूँ।

मैं बहती नदिया खुनों की ये धारें लिखने वाला हूँ....


हल्दी घाटी का वही रण, जिसमे चेतक बलशाली था।

जिसकी टापों की मार से अरि सिर हो जाता खाली था

राम प्रसाद से हाथी की भी अपनी अलग कहानी थी।

राणा के दुश्मनों पे भारी हर रजपूत जवानी थी।


शीशो भरे महलों के मैं ओसारे लिखने वाला हूँ।..

मैं बहती नदिया खुनों की ये धारें लिखने वाला हूँ....


अरे याद करो जरा गाथाये राणा वीर शिवा जू की

अरे याद करो जरा गाथाये उस चौहानी बाजू की

फिर भी भाई नजर आता गर अतीक से गद्दारो में

डीएनए की जाँच कराओ,तुम कैसे हिन्दू परिवारों में।


कलाम और हमीद को भी प्यारे में लिखने वाला हूँ

मैं बहती नदिया खुनों की ये धारें लिखने वाला हूँ....


अब भी तुम जो जाग ना पाए प्यार फांस हो जायेगा

एक ना हिन्दू बचा सकोगे सत्यानाश हो जायेगा।

पल पल जागो देखो समझो हिन्दू पतन के किस्से हैं

पाक बंगला अफगानी हिन्दू अब मखौल के हिस्से हैं


जाग गए जो, हिन्दू राष्ट्र में, सारे लिखने वाला हूँ 

मैं बहती नदिया खुनों की ये धारें लिखने वाला हूँ....


Rate this content
Log in