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arun gode

Abstract

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भगवान महावीर

भगवान महावीर

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पांच नामों से उत्तर पुरान जैन ग्रंथ में है पहचान,

वीर, अतिवीर,  सन्मति,  महावीर और वर्धमान।

राजा सिध्दार्थ, माता त्रिशाला के पुत्र महान,

वैशाली गणतंत्र कुण्डल्पुर है जन्मस्थान।


तीस वर्ष आयु में किया सुखी संसार का बलिदान,

बारह वर्ष के कठीन तपस्या से मिला केवलज्ञान।

ग्यारह शिष्यों को महावीर ने किया उपदेश प्रदान,

राजा बिम्बिसार, कुनिक, चेटक अनुयायी थे महान।


महावीर जयंती पर्व महावीर का जन्मदिन,

दीपावली को मनाते महावीर का मोक्षदिन।

भगवान महावीर का केवल बहत्तर वर्ष आयुष्मान,

पावापुरी में हुआ महावीर का महापरिनिर्वाण।


महावीर चौंबीसवें जैंन धर्म के तीर्थंकार का सम्मान,

ऋषभ्देव प्रथम, पार्श्र्व्नाथ पूर्व जैंन धर्म के तीर्थंकार मान।

राजकुमारी यशोदा से विवाहित हुये वर्धमा

न,

प्रियदर्शिनी थी वर्धमान- यशोदा की संतान।


अपने अनुययों को दिया निम्न शिक्षाएं का वरदान,

अहिंसा, अप्रिग्रह, अनेकांतवाद से मानव कल्याण।

मानव कल्याण के लिए पंचशील सिध्दांत का विधान,

सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अहिंसा है प्रधान।


एक, दो, तीन, चार, पँचजीवी इंद्रीयों,

मानव ना करे इन जीवों को निष्प्राण।

शिष्योंको दी शिक्षा, ब्रह्मचर्य सर्वोत्तम जीवन,

तपस्या, चरित्र, नियम, ज्ञान, दर्शन।


महावीर अपने शिष्यों को करते प्रबोधन,

संयम, विनय इन में तपस्या सर्वश्रेष्ठ गुन।

महाव्रत, जैन्मुनि, आर्यिका करे पूर्ण धर्म पालन,

अनुव्रत, श्रावक-श्राविका करे एक्देश धर्म पालन।


जैन धर्मी अनुयायी करे जैन धर्म चिंतन,

हर्षोल्हास से मनाकर पर्युषण पर्व, दस धर्म दस दिन।


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