STORYMIRROR

सोनी गुप्ता

Abstract

4  

सोनी गुप्ता

Abstract

तुम्हारा गलत फैसला

तुम्हारा गलत फैसला

1 min
366

तुम्हारा एक गलत फैसला हमारे रिश्तों में दूरियाँ बढ़ा गया, 

हमें अकेला छोड़कर राह में वो अपनी मजबूरियाँ बता गया, 


कड़वाहट खुल गई रिश्तों में मिठास जाने कहाँ खो गई है, 

चट्टान की भांति जो खड़े थे साथ आज दरकिनार हो गया, 


कभी खामोशियों में बहुत सी बातें कर लिया करते थे हमसे, 

पर आज इतनी भीड़ में और शोर में भी हमें अकेला कर गया, 


सरसराती हवाएँ वो घटाएँ जब नजरों के तीर होते थे आर पार, 

आज हमसे नजरें चुराकर वो उन सभी यादों को भुला गया,


तुमने मेरे लिए जाने कितने गीत गजलें और शायरी लिखी थी, 

और आज वो अहसास तुम्हारा सिर्फ कागजों पर समा गया I



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract