बारह महीनों का साल
बारह महीनों का साल
बारह महीनों का साल
कितना कुछ दिखा देता है
किसी को उठाता
किसी को पलकों से गिरा देता है,
वक्त की घड़ी चलती रहती
अनुभव अनेक मिलते हैं,
कहीं दो जोड़े मिल जाते तो
कहीं प्रेमी बिछड़ जाते हैं,
सुंदर शोभित बारह महीनों
की यात्रा कुछ इस तरह रही
उम्मीद थी कुछ अच्छा होगा
ज्यादा नहीं कम ही सही
पर कुछ तो अच्छा होगा
किसी को अपना समझकर
हमने अपने सारे राज बता दिए
वह अपना ना निकला उसने
हमें इतने सितम दिए
जमीन पर गिरे तो
किसी ने हमें सहारा दिया
किसी ने सहारा देखकर
हमें लाचार बता दिया
हिम्मत नहीं हारी आगे बढ़े
हर कदम मंजिल की ओर
हमने अपना बढ़ा दिया
गैरों से क्या शिकायत करें
यहाँ तो अपनों ने ही सितम किया
लोगों ने हाल-चाल तो पूछा
पर बड़ी ही लाचारी से
उनको लगा हमारी लाचारी ने
हमको बीमार बना दिया।
आज खड़े हैं अपने पैरों पर
किसी से मदद की भीख नहीं चाहिए
हम भी कुछ कर सकते हैं
दुनिया को हमने दिखा दिया।
बारह महीनों का साल
कितना कुछ दिखा देता है
किसी को उठाता
किसी को पलकों से गिरा देता है।