प्यार की कश्ती...
प्यार की कश्ती...
जिसे प्यार समझा था हम ने
वो पानी मे डूबी कागज की कश्ती थी....
अधूरे ख्वावों मे जब टूट गये हम
तब दिल रोया हजारों बार तेरा नाम लेकर
खत लिखते रहे आंसुओं से
तुम लौट आओगे ये सोचकर.....
रौशनी सी थी तुम
तुम थे बहार मेरी जिंदगी की
तुम थे मकसद ..
तुम से ही है इबादत बन्दगी भी.....
तेरे जाने के बाद अंधेरे सायों मे सिमटी
ना धूप थी ना छाँव थी
जिसे प्यार समझते थे हम
वो पानी मे डूबी कागज की नाव थी!
