राज दिल का..
राज दिल का..
नुरानी सी किसी शाम मे
तुम्हे ये राज बताना है
तुम समझते हो जिसे पागलपन
वो मेरे दिल का फसाना है....
मेरी धड़कनो मे जो गूंजता रहे
तेरे हुस्न का तराना है
होठों से जो लौट गया
वो राज आंखों से जताना है
नुरानी सी किसी शाम मे
तुम्हें ये राज बताना है।

