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Raju Kumar Shah

Romance

4.6  

Raju Kumar Shah

Romance

एक अक्स उकेरा होगा

एक अक्स उकेरा होगा

1 min
468


तुम्हारी तस्वीर के हासिये पर,

कुछ निशान उंगलियों के,

ज़ाहिर करेंगें कि किसी ने

तुम्हें बनाया होगा !


एक एक अक्स उकेरा होगा

कागज पर,

पूरा चेहरा दिल में छुपाया होगा !


तुम्हारी हल्की सी मुस्कान को

मोहक उन हाथों ने,

और नैन बनाकर तेरे,

खुद ही मदहोशी में आया होगा !


और कंपे तो होंगे हाथ निश्चित ही,

जो लब पर रंग फैलाया होगा !

उस मधुरिमा की लाली देख,

वह सख़्श खुद ही पगलाया होगा।


एक अक्स उकेरा होगा कागज पर,

पूरा चेहरा दिल में छुपाया होगा।

चढ़ी तो होगी उसकी सांस !

वह क्षण अलग ही लिए होगा उन्माद !


कहीं बेसब्र न हुआ हो वह पल,

सोचता हूँ ,जब सीने पर उसने

आँचल ओढ़ाया होगा !


कैसे संभाला होगा उसने

जब हाल दिल का

सौ गुना धधका होगा,


फिसलन भरी राह पर कुछ कदम,

तो उसका भी मन फिसला होगा,

विस्मय से रुक न गए हो उसके हाथ,

कुछ पल के लिए, जब कमर पर

ब्रश उसने चलाया होगा।


एक अक्स उकेरा होगा कागज पर,

पूरा चेहरा दिल में छुपाया होगा।

शिरोधार्य होकर सिर तो झुका होगा,

समर्पण का भाव लिए,


पैरों की कोमलता को जब

हाथ से उसने सहलाया होगा।

एक अक्स उकेरा होगा कागज पर,

पूरा चेहरा दिल में छुपाया होगा।


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