पत्नी
पत्नी


अच्छा लगता है मुझको, ये जतलाना तुमको
कि मैं हूँ... मैं हूँ हमेशा तुम्हारे इर्द गिर्द
तुम्हारी हर मुश्किल से दो-दो हाथ करने को
तुम बस मुस्कुराती रहो।
अच्छा लगता है मुझको, ये जतलाना तुमको
कि हर सहूलियत, हर ख़ुशी
मुझसे पहले तुम्हारे लिए है
तुम बस लुत्फ़ उठाती रहो।
ना ये मेरे खोखले बड़प्पन का पुरुष अहम है
ना कोई एहसान है।
जो तुमने मुझको दिया है
जो मेरे लिए भोगा है, जिया है
उन पलों में से एक पल के सौवें हिस्से का
मूल भी नहीं, केवल ब्याज़ भुगतान है।
मुझे मालूम नहीं क
ि इंसानी रूहें
सफ़र करती भी हैं कि नहीं
मुझे मालूम नहीं कि ऊपर
कोई अदालत लगती भी है कि नहीं।
जो मुझे इस बात का मौक़ा दें
कि वो तमाम पल जो तुमने
ख़ुद को भुलाकर सिर्फ़ मेरे लिए जिये
तुम्हारे अंदर वो तमाम रद्द-ओ-बदल
जो तुमने सिर्फ़ मेरे लिए किये
उनका आभार जता सकूँ मैं
तुम्हारे स्नेह, समर्पण और त्याग का मैं ऋणी हूँ
ये बात उस ऊपरी अदालत में लिखा सकूँ मैं
तो इस तरह से तुम्हारा धन्यवाद
मैं, तुम्हारा कर्ज़वान करता हूँ
मैं तुम्हारी पूरी क़ौम यानी कि
हर औरत का सम्मान करता हूँ!