Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dinesh paliwal

Romance

5.0  

Dinesh paliwal

Romance

।। प्रतिबिंब ।।

।। प्रतिबिंब ।।

1 min
584



मैं प्रतिबिम्ब छापता पन्नों पे,

भावनाओं और जज़्बातों के,

कुछ किस्से इनमें दिन के हैं,

कुछ हैं काली लंबी रातों के ,

कुछ मैं आँसू के रंग भरे हैं ,

हाँ कुछ मैं पंक्ति कुछ रीती है ,

हैं तेरे बारे में तो बात बहुत ,

और कुछ मेरी अपनी बीती है ।।


प्रतिबिम्ब लुभाते इस मन जो,

कुछ टेढ़े और कुछ आढ़े हैं ,

मन की जब जैसी व्यथा रही ,

उसने तब वैसे ही काढे हैं ,

इन एक एक मेरे प्रतिबिंबों में ,

कितनी ही आशाएं जीती हैं ,

हैं तेरे भी दिल की चाहत कुछ,

और कुछ जो मुझ पर बीती हैं ।।


दिल कहता है कुछ रंग भरूँ,

इन प्रतिबिंबों के कुछ रूप धरूँ,

ढक भावनाओं के आवरण इनको ,

मन के सब अपने संताप हरूँ ,

ये समझाता फिर अन्तर्मन मेरा ,

कब उलझन निश्चय को सीती है ,

जो सुलगाती तेरे दिल को अब ,

सब यादें प्रतिबिम्बों में जीती हैं ।।


हैं तेरे बारे में तो बात बहुत ,

और कुछ मेरी अपनी बीती है ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance