STORYMIRROR

AMAN SINHA

Romance

4  

AMAN SINHA

Romance

मैं क्या लिखूं ?

मैं क्या लिखूं ?

2 mins
481

चाहता हूँ कुछ लिखूं , पर सोचता हूँ क्या लिखूं,

दिल में है जो वो लिखूं, या लब पे है जो वो लिखूं।


सोये हुए जज्बातों को, एक लफ्ज़ दूँ जो बयान हो

टूटे हुए अरमानो को, एक शक्ल दूँ दरमायान हो।


बिखरी हुई सी चाह को,बैठा हुआ मैं बटोरता

भूले हुए से राह पर, मैं बेलगाम सा दौड़ता।


बंद एक संदूक में, मैं अन्धकार को तरेरता

खुद के तलाश में अपने ही,अक्स को मैं कुरेदता।


चल जाऊं जो मैं चल सकूं,ले आऊं मैं जो ला सकूं

बीते कुछ लम्हों में मैं, लौट जाऊं जो मैं जा सकूं।


कुछ अनकही सी रह गयी, कह भी दूँ जो मैं कह सकूं

दो घड़ी बस साथ तेरे, मैं रोभी लूँ जो मैं रो सकूं।


एक बार खुद को जान कर,एक बार तुझ को मान कर

एक बार तेरे साथ मैं, रह भी लूँ जो मैं रह सकूं।


चाहता हूँ कि कुछ लिखूं,पर सोचता हूँ के क्या लिखूं,

दिल में है जो वो लिखूं, या लब पे है जो वो लिखूं।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Romance